कंकेड़ा | खेत की मेड़ पर लगने वाला कंकेड़ा एक फायदे अनेक | गुणों का खजाना कंकेड़ा के फायदे | कंकेड़ा की सब्जी कैसे बनाये ?

कंकेड़ा को कर्कोटकी के नाम से जाना जाता है | कर्कोटकी को हिंदी में ककोरा कहा जाता है।  इसे मीठा करेला के नाम से भी जाना जाता है | कंकेड़ा एक मौसमी पौष्टिक सब्जी है जो बरसात के दिनों में बेल के ऊपर उगती है | अधिकांशत यह खेतो की मेड पर उगती है | कच्चा कंकेड़ा सब्जी बनाने में उपयोग किया जाता है |

कंकेड़ा या कर्कोटकी क्या है ?

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जैसा हमने ऊपर पढ़ा है कि कंकेड़ा को कर्कोटकी के नाम से जाना जाता है | कंकेड़ा के फल का उपयोग मुख्य रुप से सब्जी बनाने में किया जाता है | इसमें गाजर की तरह एक जड़ होती है, जिसका उपयोग मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों, बवासीर के इलाज, मधुमेह (डायबिटीज) और अन्य बीमारियों के उपचार में किया जाता है |


कंकेड़ा की बेल दो प्रकार की होती है | जिस कंकेड़ा की बेल पर फल नहीं लगता है उसे बांझ ककोड़ा कहा जाता है एवं जिस पर फल लगता है उसे कंकेड़ा कहा जाता है | कंकेड़ा के फल मुलायम कांटो वाले होते है जो जब कच्चे होते है तो बाहर से हरे और अंदर से सफ़ेद रंग के होते है एवं पकने पर पिले रंग के हो जाते है | कंकेड़ा के बीज परवल के बीज के जैसे होते है | कंकेड़ा का फल थोड़ा कड़वा होता है परन्तु करेले के रस में कड़वाहट कम होती है और यह गरमी की तासीर वाला होता है |

कंकेड़ा को अन्य भाषाओ में किस नाम से जाना जाता है ?

कंकेड़ा का रासायनिक नाम मोमोरडिका डायोइका है | कंकेड़ा को english मैं Spine gourd , हिंदी भाषा में कंकेड़ा को खेकसा , ककोरा, ककोड़ा कहा जाता है, संस्कृत भाषा में कंकेड़ा को कर्कोटकी, कर्कोटक,पीतपुष्पा और महाजाली कहा जाता है | कंकेड़ा को कन्नड़ा में माडहागलकायी (Madhagalkayi), गुजराती में कंटोला , कन्कोडा , तेलगु में आगाकर , तमिल में एगारवल्लि, बंगाली में बोनकरेला, कंक्रोल पंजाबी में धारकरेला, किरर, मराठी में कर्टोली, कंटोलें और मलयालम में वेमपवल कहलाता है |

कंकेड़ा में पाए जाने वाले मल्टीविटामिन्स कौन-कौन से होते हैं ?

कंकेड़ा में एक साथ बहुत सारे तत्त्व पाए जाते है | कंकेड़ा में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट , फाइबर, विटामिन ए, विटामिन बी1, बी2, बी3, बी5, बी6, बी9, बी12, विटामिन सी, विटामिन डी2 , विटामिन डी 3, विटामिन एच, विटामिन के,कैल्शियम, सोडियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, कॉपर और जिंक पाए जाते हैं | इसका मतलब कंकेड़ा एक साधारण सब्जी बनाने वाला फल नहीं है बल्कि शरीर को मजबूत बनाने की खान है | कंकेड़ा खाने में बहुत ही स्वादिष्ट लगता है इसकी तासीर गर्म होती है और कंकेड़ा को खाने से शरीर को बहुत ताकत मिलती है |

कंकेड़ा के 100 ग्राम में ऊर्जा 288. 25 ग्राम, प्रोटीन 3.1 ग्राम, वसा 3.1 ग्राम, कार्बोहाइड्रेट 7.7 ग्राम, फाइबर 3 ग्राम, खनिज तत्व 1.1 ग्राम, कैल्शियम 50 मिलीग्राम, सोडियम 150 मिलीग्राम, आयरन 14 मिलीग्राम, पोटैशियम 830 मिलीग्राम, जिंक 134 मिलीग्राम, फाइटिक एसिड आदि पाये जाते है |

कंकेड़ा का उपयोग कैसे किया जाता है ?

कंकेड़ा का उपयोग राजस्थान में शुद्ध रुप से सब्जी बनाने में किया जाता है | कंकेड़ा की जड़ के पेस्ट का उपयोग तेज बुखार आने पर पूरे शरीर पर लेप लगाने का तरीका यह है | मुंह के ऊपर मुहांसे उभरने पर इसकी सूखी जड़ का पाउडर त्वचा पर लगाया जाता है | कंकेड़ा की सुखी जड़ का पाउडर पसीनेको कम करने एवं त्वचा को नरम करने के लिए किया जाता है | एग्ज़ीमा पर कंकेड़ा के भुने बीज का पाउडर भी लगाया जाता है |

कंकेड़ा का उपयोग यह सभी तरीकों से किया जाता है |

कंकेड़ा के फायदे/ लाभ क्या है ?

सिरदर्द होने पर कंकेड़ा का उपयोग करना बहुत ही फायदेमंद हो सकता है |

कंकेड़ा के पत्तों के रस को नाक में डालने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

जिनको आधासीसी होता है, उनके लिए कंकेड़ा की जड़ को गाय के घी में पकाकर, उस घी को छानकर 1 से 2 बूँद नाक में डालने से लाभ होता है |

कंकेड़ा की जड़ को कालीमिर्च और लाल चंदन के साथ मिलाकर पीसा जाता है, इसके बाद नारियल तेल मिलाकर बनाए गए मिश्रण को मस्तक पर लगाने से सिरदर्द में आराम मिल सकता है |

बालों को झड़ने से रोकने में बहुत ही फायदेमंद है कंकेड़ा |

कंकेड़ा की जड़ को जब  घिसा जाये और उसको अगर बालों की  जड़ में लगाया जाये तो बाल मजबूत हो सकते हैं  और बालों का झड़ना भी कम हो सकता है |

कान के दर्द में कंकेड़ा बहुत ही लाभकारी सिद्ध हो सकता है |

कान में किसी भी कारणवश अगर  दर्द होता हो  तो कंकेड़ा की जड़ को पिसा जाता है उसे घी में पकाया जाता है और छानकर कण में डाला जाता है जिससे कण के दर्द में आराम हो सकता है |

कंकेड़ा खांसी और खांसी की सांस की समस्या से आराम दिलाने में मदद करता है |

बांझ कंकेड़ा के  2 ग्राम जड़ के चूर्ण में 4 पूरी काली मीर्च को मिलाकर पानी के साथ पीसकर पिने से एवं एक घंटे के बाद 1  गिलास  गरम दूध को पी लिया जाये तो कफ कम हो सकता है जिससे श्वास लेने में आराम मिलता है |

बांझ कंकेड़ा 1 ग्राम कन्द चूर्ण को हल्के गरम पानी के साथ मिलाकर पीने से खांसी में कमी आ सकती है |

कंकेड़ा की जड़ को जलाकर भस्म बनाकर, 125 ग्राम भस्म में 1 चम्मच शहद और 1 चम्मच अदरक का रस मिलाकर, ऐसा मिश्रण तैयार करके खाना चाहिए, जिससे खांसी में आराम मिलता है |

पेट के इंफेक्शन में कंकेड़ा के सेवन से जल्द आराम मिलता है |

कंकेड़ा की जड़ का चूर्ण 1 से 2 ग्राम की मात्रा में सेवन किया जाए तो अरुचि और पेट के संक्रमण से त्वरित आराम प्राप्त होता है |

कंकेड़ा बवासीर से आराम दिलाता है |

कंकेड़ा की भूनकर उसे पीसकर 500 मिग्रा की मात्रा में देने से खूनी बवासीर से आराम मिल सकता है |

पीलिया में कंकेड़ा के फायदे |

पीलिया होने पर कंकेड़ा की जड़ के रस की 1-2 बूँद नाक में डालने से पीलिया में आराम मिल सकता है |

बांझ ककोड़ा जड़ के चूर्ण को नाक से लेने से तथा गिलोय के पत्ते को तक्र के साथ पीसकर पिलाने से कामला (पीलिया) में आराम होता है।

डाइबिटीज़ को कंट्रोल करने में उपयोगी है कंकेड़ा |

कंकेड़ा की जड़ के चूर्ण का 1-2 ग्राम खाने से मधुमेह या डायबिटीज में लाभ हो सकता है और डायबिटीज के प्रबंधन में मदद मिल सकती है |

दाद से निजात दिलाता है कंकेड़ा |

कंकेड़ा के पत्ते के रस में चार गुना तेल मिलाकर पका लिया जाता है उसके बाद होने पर इसे छानकर रख लिया जाता है। इस तेल को उन स्थानों पर लगाने से जहाँ दाद होता है, वहाँ दाद, खुजली, और अन्य त्वचा संबंधित समस्याओं में लाभ मिलता है |

तेज बुखार में कंकेड़ा के फायदे |

कंकेड़ा की सब्जी का सेवन करने से बुखार में लाभ हो सकता है |

कंकेड़ा की जड़ को पीसकर शरीर के अभियांत्रिक भागों पर लगाने से बुखार में कमी आ सकती है |

आंखों के लिए कंकेड़ा के फायदे |

कंकेड़ा के अंदर एलर्जी के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता पायी जाती है अतः जिनको आँखों में एलर्जी है वो आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह के आधार पर कंकेड़ा का उपयोग करेंगे तो निश्चित ही फायदा मिल सकता है |

कंकेड़ा की सब्जी कैसे बनाये |

सबसे पहले  कंकेड़ा को साफ पानी से धो ले और उसको साफ कर ले।  सूखने के बाद कंकेड़ा को छोटे छोटे भागो में काट ले एवं इनमे नमक मिलाकर रख दे | गैस के उपर कढ़ाई में तेल को गर्म करे एवं उसमे तेल गर्म होने के बाद जीरा, काटे हुए प्याज, हींग आदि डाले।  उसके बाद इसमें कटी हुई हरी मिर्च व व्यंजन में अदरक डालकर और इन सबको सुनहरे रंग तक भूनने का काम करें |

इसके बाद, इसमें हल्दी, धनिया, मिर्च पाउडर आदि जैसे सुखे मसाले मिलाकर लगभग 30 सेकंड तक पकाएं | इसके बाद  कढ़ाई  कटे हुए कंकेड़ा को मिला दें और धीमी आँच पर 10 मिनट तक  पकने के लिए छोड़ दे। 10 मिनिट के पश्चात देखे की कंकेड़ा  पका या नहीं अगर नहीं पका है तो  थोड़ा और पकाये | और  इस तरीके से आप कंकेड़ा बना सकते है और भोजन का आनंद उठा सकते है |

सारांश |

ज्यादातर लोग कंकेड़ा का उपयोग सब्जी बनाकर खाने के रूप में करते है | परन्तु  कंकेड़ा की प्रत्येक चीज जड़ , रस , फूल, एवं  पत्ते भी बहुत उपयोगी है जिनका उपयोग कैसे किया जाता है हमने ऊपर बताया है जो बहुत सारी बीमारियों के लिए फायदा पहुंचते है |  कंकेड़ा आपको कही भी सब्जी वाले की दुकान पर आसानी से मिल जायेगा |

प्रिय पाठकों, इस लेख के माध्यम से हमने आपको कंकेड़ा के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया है। कंकेड़ा एक प्रकार का बीज होता है जिसका खरीफ मौसम में उपयोग होता है। इस लेख में हमने बताया है कि कंकेड़ा का उपयोग कैसे किया जाता है और इसमें कौन-कौन से विटामिन और खनिज तत्व पाए जाते हैं। कंकेड़ा के फायदों की भी चर्चा की गई है जिसमें बताया गया है कि यह आपके लिए कैसे उपयोगी साबित हो सकता है। आपको यह लेख पसंद आने पर, हमें आशा है कि आप इस जानकारी को अधिक लोगों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे ताकि और भी लोग इससे लाभान्वित हो सकें।

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